प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों को एक बार फिर से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भेजने की तैयारी शुरू होगी। मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस बाबत समग्र शिक्षा विभाग को आदेश दिए है। वहीं कहा है कि राज्य में वर्तमान में सरप्लस शिक्षकों का ब्यौरा एकत्रित किया जाएं, वहीं कितने शिक्षक एक स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं, यह सब चैक आउट किया जाए। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि आरटीई में तय किए गए नियमों के तहत छात्रों की संख्या के आधार पर ही शिक्षकों को तैनाती देनी चाहिए। केंद्र सरकार ने कहा है कि जनजातीय व ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षक नहीं जाना चाहते है, वहां पर ड्यूटी लगाई जाए, ताकि छात्रों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव न पड़े।
इसके मंगलवार को आयोजित केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ विडियो कॉन्फ्रेंस में यह भी निर्देष दिए गए कि केंद्र की ओर से हिमाचल को शिक्षा पर जो बजट जारी होता है, उसका पूरा ब्यौरा पीएफएमएस पोर्टल पर दिया जाएं। समग्र शिक्षा विभाग को इस बाबत ब्लॉक व स्कूल प्रबंधन को भी पीएफ एमएस पर जानकारी देने को कहा गया है। गौर हो कि नई शिक्षा नीति के तहत भी शिक्षा में गुणवत्ता लाने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि ग्रामीण स्कूलों में जब शिक्षक ही नहीं होंगे, तो इसका असर छात्रों की संख्या के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता पर पढ़ना तय है। ऐसे अब केंद्र के नए आदेशों के अनुसार अब जिन स्कलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक हैं, उन्हें ग्रामीण स्कूलों में जाना ही होगा।