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18 अक्तूबर 2020

हिमाचल में आरक्षण हो बंद , बिलासपुर में उठी आवाज

 सरकार द्वारा जातिगत आरक्षण को तुंरत ही बंद करना चाहिए। यही नहीं अंतरजातीय विवाह पर सरकार द्वारा दी जाने वाली अढ़ाई लाख रुपये की राशि भी बंद की जानी चाहिए। वहीं, आरक्षण जाति आधार पर नहीं आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिए।
रविवार को सामान्य वर्ग की समस्याओं को लेकर सामान्य वर्ग संयुक्त मंच की राज्य स्तरीय बैठक हुई। जिसकी अध्यक्षता अमर सिंह गुलेरिया ने की। इसमें प्रदेश के सभी सामान्य वर्ग के संगठनों विशेषकर ब्राह्मण सभा, महाजन सभा, खत्री सभा, राजपूत व क्षत्रिय सभा, नामधारी संगत व आहलूवालिया सभा आदी के विरिष्ट पदाधिकारियों ने बढ़-चढक़र भाग लिया और सामान्य वर्ग से जुड़ी सभी ज्वलंत समस्याओं पर गहन चिंतन करके अगली रणनीति की रूपरेखा तैयार की। बैठक में प्रदेश सरकार ने हाल ही में सामान्य वर्ग के बीपीएल परिवारों को दिए गए सात फीसदी कोटे को आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को दिए गए 10 फीसदी कोटे में समाहित करने पर कड़ी निंदा की गई। वहीं, एससीएसटी वर्ग के लिए इसे अलग से ही रहने दिया है।


साथ ही बाहरी राज्यों के एससीएसटी व जनरल कैटेगरी के लोगों के अ यर्थियों को हिमाचल के सामान्य वर्ग के कोटे में नौकरियां प्रदान करने का भी विरोध किया गया।
प्रदेश अध्यक्ष केएस ज बाल ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार केवल 25 फीसदी एससी एसटी वर्ग के तुष्टीकरण के नाम पर 75 फीसदी सामान्य वर्ग के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार एससी एसटी एक्ट के अंतर्गत दायर मुकद्दमो पर करोड़ों रुपए का अंधाधुंध खर्च कर रही है। जोकि सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के हितों के साथ खिलवाड़ सहन नहीं होगा। केंद्र व प्रदेश सरकार को इस ओर उचित कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीआई से मिली सूचना के अनुसार प्रदेश सरकार ने 2018-2019 में 3.35 करोड,2019-20में 2.90 करोड रुपए की राशि एससीएसटी मुकद्दमों पर खर्च की है।


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