हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित बेरोजगार संघ अध्यापक संघ ने आनलाईन बैठक की। बैठक में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने एसएमसी शिक्षकों के मामले में सुनवाई से पहले हाईकोर्ट का जो फैसला इस संदर्भ में 14-8-2020 को आया था, उस पर रोक लगा दी है। इस फैसले पर रोक का मतलब यह नहीं है कि माननीय हाईकोर्ट का यह फैसला गलत है। फैसला गलत है या ठीक, इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक 14-8-2020 से पहले वाली यथास्थिति बनी रहेगी और उस में कोई बदलाव नहीं लाया जा सकता। हम सभी जानते हैं कि 1800 एसएमसी शिक्षकों को 31-12-2019 के बाद सेवा विस्तार नहीं मिल सका था तथा 800 एसएमसी शिक्षकों को 31-3-2020 के बाद सेवा विस्तार नहीं मिल सका था। इसलिए बिना सेवा विस्तार इन शिक्षकों को 13-8-2020 तक का वेतन तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आ जाता। उदाहरण के तौर पर जब किसी निर्माण कार्य पर कोर्ट के माध्यम से रोक लगती है, तो पहले से निर्मित कार्यों की यथिस्थिति अंतिम फैसला आने तक बनाए रखना पड़ती है।
अर्थात रोक से पहले हुए निर्माण कार्यों को गिराया नहीं जा सकता। एसएससी पॉलिसी के तहत पहली भर्ती वर्ष 2012 में की गई थी। इस पॉलिसी में यह शर्त लगाई गई थी कि हर शैक्षणिक सत्र के बाद एसएमसी शिक्षकों के स्थान पर नियमित शिक्षक भेजना जरुरी है, ताकि भर्ती नयमों के अनूसार प्रदेश के हर पात्र उम्मीदवार को नियमित शिक्षक बनने के समान अवसर मिल जाएं। इन पात्र उम्मीदवारों में एसएमसी शिक्षक भी शामिल हैं। ज्ञात रहे भर्ती नियम संविधान की धारा 309 के अनुसार सरकार ही बनाती है, जिनके अनुसार नियमित शिक्षकों की भर्ती या तो कमिशन से ही हो सकती है या बैचवाईज हो सकती है।
इससे स्पष्ट है सरकार ने हर शैक्षणिक सत्र के पश्चात एसएमसी शिक्षकों के स्थान पर नियमित शिक्षक न भेजकर भर्ती नियमों का तथा एसएमसी पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया है। एसएमसी पॉलिसी की शर्त नंबर 11 में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि इस पॉलिसी की किसी भी शर्त का पालन नहीं होता है, तो एसएमसी शिक्षकों को ग्रांट-इन-एड जारी नहीं की जा सकती। सरकार अपनी गलती छुपाने के लिए यह कह रही है कि एमएमसी शिक्षक दूर दराज के क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। एक आरटीआई के माध्यम से सरकार की पोल खुल गई है, जिसके अनुसार 792 एसएमसी स्कूल लैक्चरर में से 582 स्कूल लैक्चरर गैर कवाईली क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
इसके उपरांत हाल ही में हुए विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक प्रश्न के उतर में शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी है कि एसएमसी शिक्षक प्रदेश के हर जिला में तैनात हैं, जबकि अधिकांश दूर-दराज के क्षेत्र केवल तीन जिलों में पड़ते हैं। सरकार नियमित शिक्षकों की भर्ती से पहले हर अभ्यर्थी से लिखित रूप में लेती है कि वह पहले पांच वर्ष दूर-दराज के क्षेत्रों में सेवाएं देने को तैयार हैं और इस अवधि के दौरान तबादले के लिए भी आवेदन नहीं करेगा। फिर भी नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए पात्र उम्मीदवारों की कमी नहीं है।
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