हाईकोर्ट में चल रहे डीएलएड बनाम बीएड विवाद के बीच शिक्षा सचिव ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को जेबीटी की बैचवाइज भर्ती का रिजल्ट जारी करने को कहा है। निदेशालय को ये प्रक्रिया पंचायती राज चुनाव की आचार संहिता से पहले पूरी करने को कहा गया है।
दरअसल
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय की सुस्ती और
लापरवाही के कारण ये भर्ती करीब दो
साल से अटकी हुई है और पद कैबिनेट
से मंजूर होने के बावजूद नहीं भरे जा
सके हैं। इस बारे में एक केस हाईकोर्ट
में डीएलएड बनाम बीएड के कारण चल रहा है, लेकिन इसमें भर्ती को लेकर कोई
स्टे नहीं है।
इस विवाद में न सिर्फ
बैचवाइज भर्तियों को रोककर रखा गया
है, बल्कि कमीशन की नियुक्ति प्रक्रिया
भी रोक दी गई है। हैरत की बात ये है कि 16 अक्तूबर, 2020 को जारी
के क्लैरिफिकेशन के अनुसार राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि प्राइमरी कक्षाओं को जेबीटी या डीएलएड ही पढ़ाएंगे,
है जबकि
वर्तमान भर्ती नियमों के अनुसार
केवल अपर प्राइमरी के लिए पात्र
होगी। इसके बावजूद प्रारभिक
निदेशालय इस पूरे मामले पर सोया
हुआ है।
दूसरी ओर हाईकोर्ट ने न तो
भर्ती से रोक लगाई है,न ही वर्तमान
भर्ती नियमों में बीएड को प्राइमरी में
भर्ती करने का कोई प्रावधान है।
इसके बावजूद सरकारी लापरवाही का
आलम ये है कि कैबिनेट ने जो पद दो
साल पहले अपूत किये थे, वे आज भी
खाली है।
दूसरी ओर राज्य सरकार
स्कूल लेकर आईपी के भर्ती नियमों
से भी अनुभव की शर्त हटा सकती है।
पूर्व सरकार के दौरान बने भर्ती
नियमों में अनुभव की शर्त शायद
इसलिए डाली गई होगी कि पहले से
आउटसोर्स पर लगो कंप्यूटर शिक्षकों
को कोई प्राथमिकता दी जा सके।
लेकिन ये अब भी जारी है और शिक्षा
विभाग के शिक्षक कैडर में ये एकमात्र
ऐसा पद है, जहा अनुभव भर्ती करती
बार देखा जा रहा है। इन भर्ती नियमों
को भी कोर्ट में चुनौती दी गई है। सरकार ने कोर्ट में जवाब दे दिया है
और अब इन भर्ती नियमो को
संशोधित किया जा रहा है।