डी .ई.सी.ई.डिप्लोमा होल्डर्स की प्रदेश
स्तरीय बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के
माध्यम से हुई। संघकी अध्यक्षा ललिता
ने बताया कि बैठक में प्रदेश सरकार
द्वारा प्री-प्राइमरी अध्यापकों की भर्तियों
के लिए बनाए जा रहे भर्ती एवं पदोन्नति
नियमों में डी.ई.सी.ई.(डिप्लोमा इन
अर्ली चाइल्डहुडकेयर एंडएजुकेशन)
को शामिल करने बारे चर्चा की गई।
हिमाचल सरकार प्री प्राइमरी शिक्षकों
की भर्ती के लिए भर्ती एवं पदोन्नति
नियम बनाने जा रही है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न माध्यमों
से सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं कि इन पदों
के लिए जे.बी.टी. अथवा डी.एल.एड.
प्रशिक्षित उम्मीदवारों को भी योग्य माना जाएगा परंतु डी.ई.सी.ई. करने
वाले हजारों डिप्लोमा धारकों ने इसका
पुरजोर विरोध किया।
उनका यह मत
था कि जे.बी.टी. अथवा डी.एल.एड.
का प्रशिक्षण किए उम्मीदवारों ने प्री-
प्राइमरी आयु वर्ग के बच्चों को पढ़ाने
के लिए विशेष विषय का अध्ययन
नहीं किया है तथा जे.बी.टी. अथवा
डी.एल.एड. पाठ्यक्रम इन्हें ऐसी शिक्षा
प्रदान के लिए योग्य होने की स्थिति
में नहीं पहुंचाता है क्योंकि जे.बी.टी.,
डी.एल.एड. वालों को सिर्फ पहली
से 5वीं कक्षा तक टीचिंग का प्रशिक्षण
दिया जाता है जबकि डी.ई.सी.ई. वालों को विशेष रूप से प्री-प्राइमरी के बच्चों
को शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित किया
जाता है।
ऐसी स्थिति अतीत में भी
पैदा हुई थी जिसमें बी.एड. प्रशिक्षित
उम्मीदवारों कोजे.बी.टी. भर्ती के लिए
योग्य माना गया था, लेकिन बाद में
उच्च न्यायालय ने बी.एड. प्रशिक्षित
उम्मीदवारों को जे.बी.टी. अध्यापकों
की भर्ती के लिए अयोग्य करार दिया
था जबकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
2020 में भी प्री-प्राइमरी एजुकेशन
के लिए अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड
एजुकेशन की शिक्षा का प्रमुखता
से
जिक्र किया गया है।
डी.ई.सी.ई. प्रशिक्षण प्राप्त
हजारों युवा घूम रहे बेरोजगार
संघ की अध्यक्ष ललिता ने कहा कि डी.ई.सी.ई.काप्रशिक्षणप्राप्त हजारो युवा प्रदेश में बेरोजगार
घूम रहे हैं। ऐसे में इस पद के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता को
ध्यान में रखते हुए डिप्लोमाधारकों को ही योग्य उम्मीदवार मानाजाए।अगर जे.बी.टी., डी.एल.एड.
को प्री-प्राइमरी शिक्षक के पदों के लिए भर्ती व पदोन्नति नियमों में जोड़ा जाता है तो यह तर्कसंगत
नहीं होगा और यह डी.ई.सी.ई. डिालोमा धारकों के साथ सरासर अन्याय होगा।