गौरतलब है कि वर्ष
2003 से 2017 के बीच के
कर्मचारियों के लिए सरकार ने
पिछले बजट सत्र के दौरान घोषणा
की थी कि इन कर्मचारियों को भी
ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाएगा,
जबकि इसके बाद के कर्मचारियों
को ग्रेच्युटी पहले से ही मिल गई
थी।
पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा ने 15 मई, 2003 से 18 सितंबर,
2017 के बीच सेवानिवृत्त व मृत
हुए एनपीएस कर्मचारियों हेतु मृत्यु
एवं सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी
(डीसीआरजी) की अधिसूचना
जारी करने बारे प्रदेश सरकार का
आभार प्रकट किया है। इस मुद्दे
पर पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा
लगातार प्रयासरत था, लेकिन दो
दिसंबर, 2020 को अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष
विनोद कुमार व पेंशन संयुक्त मोर्चा
के राज्य महामंत्री एलडी चौहान ने
संयुक्त तौर पर अतिरिक्त मुख्य
सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना से
मुलाकात की थी।
मोर्चा ने वित्त
सचिव के समक्ष बात रखी थी कि
प्रदेश में वर्तमान में लगभग पांच
हजार के करीब सेवानिवृत्त व मृत कर्मी इस अधिसूचना के दायरे में आएंगे । इन सभी मामलों में ग्रेच्युटी
कम बनती है, क्योंकि इनका नियमित सेवाकाल कम ही बनता है,
इसलिए इतना ज्यादा वित्तीय बोझ सरकार पर नहीं पड़ेगा।
एलडी
चौहान ने कहा कि अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विनोद
कुमार द्वारा मोर्चा के साथ खड़े होने की वजह से यह संभव हो पाया
है, क्योंकि सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो, अराजपत्रित
कर्मचारी महासंघ को विशेष तौर पर तवज्जो दी जाती है। उधर, नई
पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ ने इस पर सरकार का आभार भी जताया
है। संगठन के मुख्य संस्थापक नरेश ठाकुर, महासचिव भरत शर्मा,
वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरभ वैद, महिला विंग अध्यक्ष सुनेश शर्मा,
कोषाध्यक्ष शशि पाल शर्मा, संविधान पर्यवेक्षक श्याम लाल गौतम,
महिला विंग वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनीता चौहान इत्यादि ने सामूहिक बयान
में कहा है कि सरकार का यह बहुत ही सराहनीय फैसला है, क्योंकि
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए यह बहुत बड़ी राहत है। सभी ने
सामूहिक बयान में कहा कि नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ
हिमाचल प्रदेश में लगातार पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रयासरत है।