चम्बा: ऐ दसा इसे बरी चुनावा रा के माहौल ऐ। कुण खड़ींदा ते कुण बैंहदा ऐ। के पता अरा मेरी सुनणी इक बैठक सदी लिंदे ते पता लगी जाणा जे कुण ऐ खड़ींदा ते कुण नि बैठक बिच। सदे रे मणु का पुछेया कुनी प्रधान बणना सब बोलदे मैं बनणा मैं बनणा। ता जिनी बैठक थी सदेरी से बोलदासारे तुसी प्रधान बनी जाणाता वोट कुनी देणे तुसां जो ता बिचकाइक मणुबोलदा मेरी लाड़ी जो बी प्रधान बणाई देयो।
ता सरपंच
बोलदा दस तेरी लाड़ी
कितणी ऐपढ़ेरी।चाचा चौथी बिच स्कूल
छडी दितेया थिया। चरपंच बोलदा सुण
यरा इयां करदे अपणे दोस्तां जो खडेरी
दिदे। तिस कने इना सबनी रे वोट बी
कटी जाणे ते कुसकी तिसरे ई जीती
जाणा। ते किछ नी हुन्दा रिश्तेदारी ते ग्रां
चलदा रैन्दा ता दूजा बोलदा न चाचा
इयां नी करणा चुनाव दो रोज हीन ते
तिसका बाद अपणा परिवार ते ग्रां ते
रिश्तेदार ई कमा इणे तू चुनावा रे चक्करा
बिच ऐ मत भूली जांदा जे चुनाव जितणे
रे बाद कोई कुसेरा नी हुन्दा ।
इस चुनावी
चर्चा में लोग बात कर रहे हैं कि बताओ
चुनावों का माहौल कैसा है। प्रधानी केलिए कौन खड़ा हो रहा है और कौन
बैठ रहा है तो दूसरा बोलता क्या पता
ऐसा करते हैं एक बैठक बुला लेते हैं
उससे पता लग जाएगा कौन खड़ा हो
रहा है और कौन नहीं तो अगले दिन
बैठक बुलाई जाती है। सभी से पूछते
हैं कि इस बार प्रधान के
लिए कौन खड़ा हो रहा
है तो सभी कहते हैं हम
खड़े हो रहे हैं तभी एक
व्यक्ति कहता है कि
आप सभी खड़े हो जाएंगे
तो आपको वोट कौनदेगा।
तोउसी बीच एक व्यक्ति
कहता है कि मेरी पत्नी
कोप्रधान बनादो तोलोग
कहते हैं कि बता तेरी
पत्नी कितनी पढ़ी है तभी वह व्यक्ति
कहता है कि चौथी में ही स्कूल छोड़
दिया था। इन सारी हरकतों के देख के
सरपंच सोचता क्यों न मैं ही इसका
फायदा उठाता हूं तभी वह अपने दोस्त
को कहता है कि यह क्या चुनाव लड़ेंगे।
मैं अपने दोस्त को खड़ा कर देता हूं
रिश्तेदारी और गांव तो चलता रहेगा।
तभी दूसरा व्यक्ति कहता है ऐसा नहीं
है चाचा चुनाव तो दो दिन के हैं खत्म
हो जाएंगे और परिवार, गांव और रिश्तेदारी
उम्र भर चलेगी और चुनावों के चक्करों
में यह मत भूल जाना कि जीतने के बाद
कोई किसी का नहीं होता है।