प्रदेश में सरकारी व्यवस्था का
अंदाजा इसी बात से लगाया जा
सकता है कि नौकरी की तलाश में
बेरोजगार अपनी उम्र का
एक पड़ाव पूरा करने के
बाद रोजगार पा रहे हैं।
हाल ही में शिक्षा विभाग
की ओर से टीजीटी के पदों पर
बैचवाइज की गई नियुक्तियां
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
545 शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने
टीजीटी बनाया है, लेकिन इनमें से
मेडिकल, नॉन मेडिकल और
आर्ट्स में 53 शिक्षक ऐसे हैं, जो
50
वर्ष से अधिक
आयु के हैं।
22 साल के लंबे इंतजार के बाद
नौकरी तो मिली लेकिन अनुबंध के
तीन साल पूरे करने के बाद तुरंत
सेवानिवृत्त हो जाएंगे। हालांकि
शिक्षक नौकरी मिलने से भले ही
संतुष्ट हों, लेकिन प्रदेश में युवा वर्ग
जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर
रहे हैं और टीजीटी सहित अन्य
कोर्स में पढ़ाई कर रहे हैं, देरी से मिलने वाले ऐसे रोजगार से उनका
मनोबल टूट रहा है।
शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों
की नियुक्ति की जारी सूची में ऐसे
शिक्षक भी शामिल हैं, जिनकी जन्म
तिथि 1968 या 1969 वर्ष की भी
है।
जन्म तिथि के मुताबिक शिक्षकों
की आयु 52 या 53 साल की है।
नियमों के मुताबिक, अगले पांच या
छह साल के बाद इन्हें सेवानिवृत्त
कर दिया जाएगा। विभाग की सूची
में भले ही इनकी संख्या कम होगी,
लेकिन प्रदेश में बैचवाइज आधार पर मिलने वाली नौकरी का सूरते- हाल यही है।
सरकारी स्कूलों में टीजीटी आर्ट्स
में 302, मेडिकल में 101 और
नॉन मेडिकल में 142 शिक्षकों को
नियुक्ति दी गई है। सभी भर्तियां
अनुबंध आधार पर की गई हैं।
22 साल पहले की बीएड
अब मिली नौकरी
सामान्य वर्ग में टीजीटी नॉन मेडिकल में
1998 में बीएड करने वालों का अब नंबर
आय है। आर्ट्स में 1999 और मेडिकल
में 2001 के बैद्य वालों को नौकरी मिली
है। इस वर्ग में अर्थिक रूप से कमजोर
वर्ग में आर्ट्स में 2001, नॉन मेडिकल में
1999 और मेडिकल में 2003, अनुसूचित
जाति में आर्ट्स के 2003, नॉन मेडिकल
में 2005 और मेडिकल में 2006,
अनुसूचित जनजाति में आर्ट्स के 2003,
जॉन मेडिकल के 2006 और मेडिकल में
2005 के बैच वालों को नौकरी मिली है।