प्रदेश शिक्षा विभाग ने तय कर लिया है कि प्राइमरी में बीएड नहीं रखे जाएंगे। एनसीटीई चाहे जो कहे लेकिन हिमाचल में प्राइमरी में कक्षाओं को जेबीटी- डीएलएड ही पढ़ाएंगे। यह जवाब जेबीटी केस में हाईकोर्ट के लिए तैयार हुआ है। इस बार जवाब में हर तथ्य और तर्क को जोड़ा गया है।
हाईकोर्ट ने बैचवाइज
भर्ती मामले में हुए कोर्ट केस में 27
फरवरी तक जवाब दायर करना है।
ये फैसला हो चुका
इस केस को भी जेबीटी कमीशन के
साथ जोड़ दिया गया है, जिसकी भर्ती
करीब दो साल से अटकी हुई है। इस
बार राज्य शिक्षा
विभाग ने कहा है कि
है कि प्राइमरी में
जेबीटी ही रहेंगे और इसकी
सूचना
एनसीटीई को दे दी
गई है। जवाब में
संविधान के अनुच्छेद 309 और
310 का हवाला भी दिया गया है कि
कर्मचारी भर्तियों के मामले में
एनसीटीई के हर निर्देश को मानना
राज्य सरकार पर बंदिश नहीं है।
साथ
में ये तर्क भी रखा गया है कि बीएड
टीचर्स के पास
जेबीटी को पढ़ाने के
लिए टेट की पात्रता नहीं है। हाईकोर्ट
में इस केस की सुनवाई 3 मार्च को
तय हुई है। इस केस के कारण जहां
एक ओर कमीशन भर्ती का रिजल्ट
नहीं निकल रहा, वहीं बैचवाइज में
विभाग को दो बीएड कैंडीडेट को
जेबीटी की काउंसलिंग में शामिल
करना पड़ा है।
गौर रहे कि प्रदेश
सरकार द्वारा 12 मई 2019 को
जेबीटी के 617 पदों को भरने के
लिए लिखित परीक्षा आयोजित की
गई थी, जिसमें बीएड के उम्मीदवारों
की दावेदारी के चलते परिणाम घोषित
नहीं किया गया था।
बैचवाइज भर्तियों में भी यही विवाद
आ गया। इसका आधार यह है कि
एनसीटीई ने ऐसे नियम जारी कर दिए
हैं कि प्राइमरी के लिए बीएड टीचर
भी पात्र हैं।