हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जेबीटी शिक्षकों के अनुबंध पीरियड को पेंशन व वार्षिक वेतनवृद्धि के लिए गिने जाने संबंधित फैसले पर सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके द्वारा दिए गए फैसले में कोई त्रुटि नहीं है।
बता दें जगदीश चंद व
अन्य याचिकाकर्ताओं के मामले में
हाई कोर्ट की ओर से दिए गए
निर्णय के अनुसार प्रर्थियों द्वारा
अनुबंध आधार पर जेबीटी शिक्षक
के तौर पर दी गई सेवाओं को पेंशन
के लिए क्वालीफाइंग सर्विस व
वार्षिक वेतनवृद्धि के लिए गिने
जाने के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट
के इस निर्णय के खिलाफ सरकार
ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी
जिसे खंडपीठ ने ख़ारिज कर दिया।
प्रार्थियों के अनुसार जब विद्या
उपासकों के कार्यकाल को पेंशन व
वार्षिक वेतनवृद्धि के लिए गिना जा
सकता है तो उनसे बेहतर स्थिति में
होते हुए उनके अनुबंध कार्यकाल
को भी इन लाभों के लिए गिना
जाना चाहिए। कोर्ट ने प्रार्थियों की
दलीलों से सहमति जताते हुए
उनके अनुबंध सेवाकाल को पेंशन
व वार्षिक वेतनवृद्धि के लिए गिनने
के आदेश दिए थे।