इस साल जल शक्ति विभाग में विभिन्न
श्रेणियों के चार हजार पद भरे जाएंगे।
सरकार ने 30 हजार पद भरने का ऐलान
किया है, जिसमें जल शक्ति विभाग में चार
हजार पद भरने की घोषणा जल शक्ति मंत्री
महेंद्र सिंह ने की है। उन्होंने कहा कि विभाग
में लगे आउटसोर्स कर्मचारियों को पैरा फिटर
व पैरा पंप आपरेटर्ज के पदों पर लगाने की
मंजूरी कैबिनेट से ली जा चुकी है। अभी
भी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए जो
एग्रीमेंट किया गया है, उसमें वह छह घंटे ही
काम करेंगे।
सदनन में सिंचाई, जलापूर्ति एवं सफाई
पर विपक्ष द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव के
जवाब में जल शक्ति मंत्री ने कहा कि केंद्र
की मोदी सरकार ने हिमाचल के लिए
90:10 के अनुपात में योजनाओं की
स्वीकृति बहाल की है, जिसे पूर्व सरकार के
समय में बंद कर दिया गया था। विपक्ष के
सवालों पर मंत्री ने कहा कि सदन में एक
ऐसी जमात है, जो दूसरों के कपड़े फाड़ती
है, मगर वह ऐसा नहीं करेंगे।
पूर्व सरकार ने
ग्रामीण पेयजल के लिए 345 करोड़ रखे थे,
जबकि उनकी सरकार ने 764 करोड़ इसके
लिए दिए।
सीवरेज योजनाओं के लिए कांग्रेस ने
41.19 करोड़ दिए, तो वर्तमान में 202
करोड़ दिए गए, वहीं माइनर इरिगेशन के
लिए 210 करोड़ कांग्रेस सरकार में दिए गए
थे, जबकि वर्तमान सरकार ने 315 करोड़
का बजट तीन साल में दिया है। विदेशी
प्रोजेक्टों की चर्चा करते हुए मंत्री ने कहा कि
ब्रिक्स के तहत 13 टेंडर कर दिए गए हैं,
जिसमें नाहन, जुब्बल, देहरा, नगरोटा,
इन्दौरा, नूरपुर, थुरल, ज्वाली, द्रंग व बल्ह
के लिए 330 करोड़ के टेंडर हुए हैं। एडीबी
से 187 स्कीमों को मंजूरी मिली जो केवल
धर्मपुर या सराज के लिए नहीं बल्कि पूरे
प्रदेश के लिए हैं। एएफडी में मनाली की
सीवरेज योजना के अलावा करसोग,
पालमपुर, बिलासपुर, नाहन की योजनाओं
को मंजूरी मिली है। जल जीवन मिशन पर
महेंद्र सिंह ने दो टूक कहा कि यह प्रोजेक्ट
एक साल के लिए नहीं है, बल्कि पांच साल
का प्रोजेक्ट है। इसमें किसी गड़बड़ का
सवाल ही पैदा नहीं होता।
कोरोनाा से ज्यादा घातक
हो सकता है जल संकट;
सदन में महेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले
समय में संभावित सूखे की स्थिति
कोरोना से ज्यादा घातक हो सकती है।
उनका कहना था कि बारिश नहीं हुई, तो
आने वाले समय में परेशानी हो जाएगी,
क्योंकि ब्यास नदी भी अब तो सूखने
लगी है। सत्तापक्ष के बहुमत से कटौती
प्रस्ताव गिर गया।