राज्य सरकार की ओर से की गई देरी से
जेबीटी बनाम बीएड केस फिर टल गया।
हाईकोर्ट ने इस केस में 10 मार्च तक
एनसीटीई से जवाब मांगा है। 16 मार्च को
जेबीटी और 17 को शास्त्री की सुनवाई तय
हुई है। हैरानी की बात यह है कि जेबीटी
डीएलएड के धरने प्रदर्शन और दो साल से
अटकी भर्तियों के बावजूद सरकारी स्तर पर
इस केस को लेकर कोई गंभीरता नहीं है।
जेबीटी बनाम बीएड वाला यह केस बुधवार
को हाईकोर्ट में लगा था। याचिकताकर्ताओं
और सरकारी पक्ष के वकीलों के अलग अलग
मत इसमें हैं एनसीटीई एक्ट की धारा 23 में
एनसीटीई को शिक्षक भर्ती संबंधी गाइडलाइंस
बनाने की शक्तियां हैं।
जून 2018 में जेबीटी
के पदों पर इस शर्त के साथ एनसीटीई ने पात्र
घोषित किया गया है कि यदि जेबीटी के
समकक्ष योग्यता वाले टीचर न हों। लेकिन इस
एक प्रावधान के कारण दो साल से पहले
जेबीटी कमीशन की भर्ती अटकी और अब
बैचवाइज भी सशर्त काउंसलिंग हुई है।
ALSO READ 3840 प्री प्राईमरी शिक्षक भर्तीहाईकोर्ट ने 3 मार्च को यह केस रखा था और शिक्षा विभाग ने 27 फरवरी से पहले इसमें जवाब भी दायर कर दिया था। लेकिन आज जब केस की बारी आई तो एडवोकेट जनरल आफिस ने पहले कहा कि इस केस में सारे रिप्लाई उनकी ओर से अभी फाइल नहीं हुए है। बाद में आउट ऑफ स्टेशन जाने के नाम पर अगली डेट ले ली। हालांकि कोर्ट ने एनसीटीई से इस बारे में शार्ट नोटिस पर जवाब तलब किया है। इन्हें 10 मार्च तक रिप्लाई फाइल करना होगा। महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने बताया कि इस केस में बीएड वाले नई याचिकाएं दायर कर रहे हैं।