आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स यूनियन ने मांगों के समर्थन में पंचायत भवन शिमला से लेकर विधानसभा तक रैली निकाली। विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। इसमें प्रदेशभर से सैकड़ों आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स ने भाग लिया। रैली के दौरान करीब दो घंटे तक शिमला शहर में भारी यातायात जाम लग गया, जिससे लोगों को परेशानी हुई। सीटू के बैनर तले यह प्रदर्शन किया गया।
यूनियन की राष्ट्रीय अध्यक्ष ऊषा
रानी के नेतृत्व में 12 सदस्यीय
प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम
ठाकुर से मिला व उन्हें नौ सूत्रीय
मांगपत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने
आंगनबाड़ी कर्मियों की मांगों को
पूरा करने का आश्वासन दिया।
अठारह हजार आंगनबाड़ी केंद्रों की
37 हजार आंगनबाड़ी कर्मी हड़ताल
पर रहीं।
उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार
को चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी
वर्कर्स को प्री प्राइमरी कक्षाओं के
लिए नियुक्त करने के आदेश जारी
नहीं किए तो आंदोलन तेज होगा।
केवल आंगनबाड़ी कर्मियों को ही
प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त
करने की मांग की।
हिमाचल में प्री प्राईमरी शिक्षकों की भर्ती, अपडेट
उन्होंने कहा कि
छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों की
शिक्षा का कार्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
ही कर रही हैं। वहीं, नई शिक्षा नीति
को वापस लेने की मांग की। आरोप
लगाया कि नई शिक्षा नीति में वास्तव
में आइसीडीएस के निजीकरण का
छिपा हुआ एजेंडा है। इससे भविष्य
में आंगनबाड़ी कर्मियों को रोजगार से
हाथ धोना पड़ेगा।
विधानसभा के बाहर प्रदर्शन को
सीटू के राष्ट्रीय सचिव कश्मीर
ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,
महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत
राम, यूनियन की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि ने संबोधन किया।
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आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स
के वेतन में 500 व 300
रुपये की बढ़ोतरी को मजाक करार
दिया है। हरियाणा की तर्ज पर वेतन
और अन्य सुविधाएं देने की मांग
की। आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए
तीन हजार रुपये पेंशन, दो लाख
रुपये ग्रेच्युटी, मेडिकल व छुट्टियों
की सुविधा लागू करने की मांग की
है। सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष करने,
मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को बराबर
वेतन देने की मांग की है।