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15 मार्च 2021

अयोग्य करार देने पर भी कर दी शिक्षकों की भर्ती

 

प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय में जांच के बाद अयोग्य पाए गए कुलपति को हटाने के निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन प्रदेश के तीन निजी विश्वविद्यालय ने इन आदेशों की अनदेखी का आयोग के हुए फिर से अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति कर दी है। शिक्षण नियामक आयोग ने जांच के बाद अयोग्य कुलपति पर सख्त कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब दोबारा यूजीसी के आदेशों को दरकिनार किया गया है। 


आयोग को जानकारी मिली है कि प्रोफेसर, असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्ति नियमित करने के बजाय अनुबंध और अस्थायी रूप से की है। तीन से छह महीने तक इन्हें नियुक्ति दी गई। इन्हें यूजीसी नियमों के अनुसार वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। तीन विश्वविद्यालयों में शिक्षक अयोग्य हैं।

 कई शिक्षक पीएचडी, नेट. क्वालीफाई नहीं तो कुछ को पढ़ाने का अनुभव नहीं है। आयोग द्वारा विश्वविद्यालयों में फैकल्टी की जांच के लिए गठित कमेटी की में इसका खुलासा हुआ है। सोमवार को जांच के लिए गठित कमेटी की पहली बैठक में यह सामने आया है। इसमें विश्वविद्यालयों से आए रिकॉर्ड को खंगाला गया।


 आयोग ने 16 निजी विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक निजी विश्वविद्यालयों ने जो रिकॉर्ड भेजा है वह फॉरमेट के अनुसार नहीं है। प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए निजी विश्वविद्यालयों में फैकल्टी की जांच चल रही है। जांच कमेटी की पहली बैठक में सामने आया है कि 15 फीसदी शिक्षक अयोग्य हैं। रिकॉर्ड आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

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