जेबीटी भर्ती के मामले में आखिर
राज्य सरकार की फजीहत कौन
करवा रहा है। यह
सवाल इसलिए उठ
रहा
है क्योंकि
हाईकोर्ट में चल रहे
इस मामले में पहले
सरकारी वकीलों द्वारा
टाइम मांगने के
कारण सुनवाई टली
थी और अब शिक्षा
विभाग द्वारा समय
पर जवाब दायरन
करने से सुनवाई
अब 27 अप्रैल तक टली है। हैरानी
की बात यह है कि 2 साल से इस केस के कारण जेबीटी की भर्ती
लटकी हुई है। पहले कमीशन की
भर्ती अटकी थी और अब बैचवाइज
भर्ती भी इसमें फंस गई है।
विवाद जून 2018
की एनसीटीई के उस लेटर
की वजह से है जिसमें
जेबीटी के पदों के अंगेस्ट
बीएड को भी एनसीटीई ने
पात्र घोषित कर दिया था।
जेबीटी केस में दीप राम
बनाम हिमाचल सरकार
वाले मामले में हाई कोर्ट
में इसी नोटिफिकेशन को चैलेंज किया गया
है। मंगलवार को इस
केस की सुनवाई थी, लेकिन खंडपीठ
के सामने बहस के दौरान पता चला
कि शिक्षा विभाग की तरफ से इस
मामले में रिप्लाई फाइल नहीं हुआ
है।
हालांकि भारत सरकार और
एनसीटीई की तरफ से जवाब आ
गया था। ऐसे में कोर्ट को इस केस
में अगली डेट देनी पड़ी। अब इस
मामले की सुनवाई 27 अप्रैल को
होगी। इससे पहले कोर्ट ने शिक्षा
विभाग को मंगलवार को कहा कि
अगली सुनवाई से पहले जवाब दायर
करें, नहीं तो शिक्षा सचिव को
व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना
होगा। इस केस के नतीजे का हजारों
शिक्षित बेरोजगार इंतजार कर रहे हैं
क्योंकि इससे सारी भर्तिया अटकी
हुई हैं लेकिन लगता है सरकारी तंत्र
में अभी भी वह गंभीरता नहीं है कि
इस केस को हल करवाया जा सके।